नम्सतुतॆ श्रृष्टि के विदात्था नम्सतुते
कष्टे माथरुष सफ़्फ़े जनशव स्तम्भ्वने
मनस श्लोचन करे पुष्ठीन विलम्भन
कछु नहीं सकत रचे भाव
अवलोचन मात्र करियो नहीं सक्की
कर सेवन और पूजन विचार
अन्थार्यामी शुद्दि कर समर
रहू थु जीवन सचार
क्या शुथ्र महक जन साधू
ब्रष्ट तपो जित कटु लचार
शशश्य मस्तिष्क रचे बिन त्यागी
कोती से चरे मार मार
लजअत उददजत मरजत कट्जत
दास्तानों श्रृष्टि उप्पज
विष्लिज मानवता सौ प्रहार
कचू न होंवे तरार
---रूहुल हक
कष्टे माथरुष सफ़्फ़े जनशव स्तम्भ्वने
मनस श्लोचन करे पुष्ठीन विलम्भन
कछु नहीं सकत रचे भाव
अवलोचन मात्र करियो नहीं सक्की
कर सेवन और पूजन विचार
अन्थार्यामी शुद्दि कर समर
रहू थु जीवन सचार
क्या शुथ्र महक जन साधू
ब्रष्ट तपो जित कटु लचार
शशश्य मस्तिष्क रचे बिन त्यागी
कोती से चरे मार मार
लजअत उददजत मरजत कट्जत
दास्तानों श्रृष्टि उप्पज
विष्लिज मानवता सौ प्रहार
कचू न होंवे तरार
---रूहुल हक
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